- परिवार को बचाने एवं बच्चों के भविष्य के लिए एक गंभीर मामले में अनावेदिका को भेजा गया नारी निकेतन
- आयोग के आड़ में अवैध कार्य स्वीकार्य नही,घरेलू आपसी मन मुटाव का समाधान परिवार के बीच ही किया जाए – डॉ किरणमयी नायक
Indian News – सुबोध तिवारी, बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक एवं सदस्यगण सुश्री शशिकांता राठौर, डॉ अनीता रावटे एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने जिला पंचायत के सभागार में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जन सुनवाई की। सुनवाई में कुल 32 प्रकरण रखे गये थे। जिसमें 17 प्रकरणों के आवेदक उपस्थित रहे एवं उनकी सुनवाई की गयी। उसमें से आज 8 प्रकरणों को निराकरण करते हुए नस्तीबद्ध किया गया। साथ ही कुछ प्रकरणों को सुनवाई हेतु रायपुर स्थानन्तरण किया गया है।
डाॅ. नायक ने महिलाओं को समझाईश देते हुए कहा कि घरेलू आपसी मनमुटाव का समाधान परिवार के बीच किया जा सकता है। घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान एवं आपसी सामंजस्य सुखद गृहस्थ के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही आयोग के आड़ में अवैध कार्य को किसी भी तरह से स्वीकार्य नही किया जाएगा। जिला कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित सुनवाई में मुख्य रूप से महिलाओं से मारपीट मानसिक शारीरिक दैहिक प्रताड़ना कार्यस्थल पर प्रताड़ना दहेज प्रताड़ना से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की गई।
पलारी विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम हरिनभट्टा के आवेदक एवं अनावेदक ग्राम कोयदा निवासी पति पत्नी के बीच आपसी सुलह कराकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ससुराल भेजा गया। इस पूरे मामले को 6 माह तक संरक्षण अधिकारी को हर 2 हप्ते में घर जाकर मुवायना करनें के निर्देश दिए गए है।
उसी तरह एक महिला आवेदक सिमगा विकासखण्ड के ग्राम डोंगरिया निवासी ने समाज एवं ग्राम वासियों के विरुद्ध हुक्का पानी एवं मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया गया। अनावेदक समाज प्रमुखों ने अध्यक्ष महोदय को बताया कि हमने आवेदक समाज से बहिष्कृत नही किया है। इस दौरान उपस्थित समाज प्रमुखों ने सभी के सामने घोषणा किया।
उसी तरह एक अन्य प्रकरण में पलारी विकासखंड के अंर्तगत ग्राम धौराभाटा के आवेदक ने गाँव के प्रमुखों पर हुक्का पानी बंद करनें का आरोप लगाया है। जिस पर आयोग की अध्यक्ष ने एसडीओपी बलौदाबाजार को 30 दिन के भीतर जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करनें के निर्देश दिए गए है।
उसी तरह एक बहुचर्चित मामले जिसमें एक अधिकारी जहां जाते है वहा शादी कर लेते है। उस प्रकरण के मामले में आवेदिका कसडोल निवासी के शिकायत पर आयोग ने डीएनए टेस्ट कराया था। जिस पर रिपोर्ट निगेटिव आया है। पर आवेदिका ने रिपोर्ट में शंका जाहिर करते हुए अपनी बात रखी। इसके साथ ही आवेदक के वैध प्रमाण पत्रों में पिता का नाम उक्त व्यक्ति का दर्ज है। जिस पर आयोग ने बात को गंभीरता एवं जाँच रिपोर्ट के कुछ बिंदुओं को देखते हुए पुनः एक्सपर्ट से जांच आवेदन प्रस्तुत करनें कहा है। इसके साथ ही अनावेदक ने स्वीकार्य किया कि 1975 में पहली शादी हुई थी। जबकि 1982 में बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर ली है साथ ही दूसरी पत्नी का नाम सर्विस बुक में दर्ज है। जिस पर आयोग ने जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव एवं कलेक्टर सुकमा को आदेश जारी कर जांच करनें कहा है। क्योंकि प्रथम दृष्ट्या यह पहली पत्नी के रहते दूसरी महिला से शादी करना बिना तलाक दिए गंभीर अपराध है।
इसी तरह कसडोल विकासखंड के अंर्तगत ग्राम गिन्दोला के आवदेक के मामले में सास ने बहु का साथ दिया। जिसमें अनावेदिका क्रमांक 2 द्वारा पहले पति के रहते दूसरी शादी करना साथ ही इनका 5 साल का बच्चा होना स्वीकार्य किया। एवं इसी तरह अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा पहले पत्नी के रहते दूसरी शादी कर पत्नी रखना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। उक्त मामले में आयोग द्वारा अनावेदिका क्रमांक 2 को तत्काल हिरासत में रखकर रायपुर नारी निकेतन में रखने के निर्देश एसपी बलौदाबाजार को दिए है। इसी तरह सुनवाई दौरान अपर कलेक्टर राजेंद्र गुप्ता डीएसपी अभिषेक सिंह,जिला कार्यक्रम अधिकारी एल आर कच्छप अन्य विभागीय अधिकारी गण उपस्थित थे। साथ ही आयोग की सुनवाई के दौरान आवेदक अनावेदक सहित जनप्रतिनिधि गण उपस्थित थे।