Indian News : रायपुर | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) पांच दिवसीय दौरे पर रवाना हुए। इस दौरान सीएम बघेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा की महाराष्ट्र दिल्ली में आयोजित बैठकों में होंगे शामिल 5 दिनों के लिए दौरे पर जा रहा हूं, कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और परसो राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ मीटिंग है।

कैबिनेट के फैसले पर सीएम ने कहा कि आरक्षण पर कैबिनेट में बात हुई है, जिसमें अनुसूचित जनजाति पिछड़े वर्ग डब्ल्यू ए एस2 जिले में भर्ती की जाती थी, कोई एक्ट नहीं था, जिसको हाईकोर्ट ने निरस्त किया था। प्रदेश का आरक्षण कितना महत्वपूर्ण है जीने का भी उतना महत्वपूर्ण है।

15 सालों तक रामराज्य रहा है उसका कितना खामियाजा हम और आमलोग भुगते है। आदिवासियों की जमीन चली गई, सैकड़ों आदिवासी जेल में ठूंस दिए गए, नक्सली बताकर इनकाउंटर किया गया, झीरम में हमारे नेता शहीद हो गए , यही रामराज्य था क्या ? किस प्रकार लूट मची थी सब ने देखा हैं। 15 साल का रिजल्ट सामने आ गया है और 15 सीट में सिमट गई है।

4 सालों तक एक भी विकास कार्य के काम नहीं हुए इस पर सीएम ने कहा कि, डॉ रमन सिंह (Dr Raman Singh) अगर राजनांदगांव में काम किए होते तो लोग सड़क की मांग नहीं करते। 4 साल में सारी सड़कें खराब हो गई। उन्होंने अगर काम किए होते तो 4 सालों में सड़के खराब नहीं होती। एजुकेशन हेल्थ सब हमारे द्वारा किया जा रहा है। डॉ रमन सिंह लोगों को गुमराह करके वोट लेते रहे।

2003 से लेकर 12 तक रमन सिंह ने आरक्षण लागू नहीं किया था। अब किया गया तो हाईकोर्ट में टिक नहीं पाया। आरक्षण के लिए विशेष सत्र बुलाया जा रहा मंत्री कवासी लखमा को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कांग्रेस की सरकार हमेशा आदिवासियों के साथ खड़ी रहेगी।

सीएम ने कहा कि लगातार राजनीतिक षड्यंत्र किया जाता था। डॉ रमन सिंह मुझे चूहा और बृजमोहन अग्रवाल मुझे राक्षस बोलते हैं। बीजेपी वालों के पास कोई मुद्दा नहीं है, वे हीन भावना से ग्रसित है, सत्ता जाने के बाद जो फड़फड़ाहट दिखाई दे रही है इनके बयानों में साफ दिख रहा।

उन्होंने आगे कहा कि मनोज मंडावी (Manoj Mandavi) से उनकी मृत्यु से 1 सप्ताह पहले ही मिला था। मनोज मंडावी से उनकी मृत्यु से 1 सप्ताह पहले ही मिला था। कांग्रेस की सरकार ने आदिवासी को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया, बीजेपी ने किस आदिवासी नेता को उपाध्यक्ष बनाया है?

बता दें आदिवासियों को दूसरे दर्जे के लोगों की तरह व्यवहार करते थे। पेशा कानून फॉरेस्ट राइट एक्ट अधिमान्यता उनको मिलना था।  आदिवासी इनके राज्य में पलायन होने के लिए बाध्य हुए। इनकी कुशासन का यह हाल था

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