Indian News : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में रहने वालों को आजादी के 75 साल बाद भी सड़क पानी और बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है. करीब 14 साल से सड़क के लिए संघर्ष कर रहे जिले के आठ गांव के लोगों ने ऐलान किया है कि अब सड़क तो वोट नहीं. इसी ऐलान के साथ ग्रामीणों ने गांव में नेताओं का प्रवेश वर्जित कर दिया है. ग्रामीणों के मुताबिक जिले के अंदरूनी गांवों में सड़कें नहीं हैं. जो सड़कें कभी बनी भी थी तो रखरखाव के अभाव में उखड़ चुकी हैं. इस समस्या को लेकर बीते 14 सालों से आंदोलन चल रहा है. चुनाव के समय नेता आते तो हैं, लेकिन आश्वासन देकर चले जाते हैं.

अब ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि उन्हें आश्वासन तो बिल्कुल नहीं चाहिए. सड़क बनने से पहले इन गांवों में किसी नेता का प्रवेश नहीं होना चाहिए. इसी के साथ ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि सड़क बनने तक गांव में कोई वोटिंग नहीं होगी. इसी क्रम में रविवार को मोलसनार गांव के लोगों ने प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने बताया कि केवल मोलसनार ही नहीं, उदेला, दुगेली, नेरली समेत अन्य गांवों को जोड़ने के लिए सड़क नहीं है. इसके लिए पिछले 14 साल से लोग मांग कर रहे हैं. लगातार प्रदर्शन और आंदोलन चल रहा है. बावजूद इसके ना तो प्रशासन उनकी सुन रहा है और ना ही शासन में ही कोई सुनवाई हो रही. आलम यह है कि किसी इमरजेंसी में गांव में एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती. शहर जाने के लिए लोगों को पगडंडियों से सफर करना पड़ता है.

ग्रामीण शहर से गांवों को जोड़ने के लिए मुख्य सड़क के अलावा इस मुख्य सड़क से गांव तक अंदरुनी सड़क की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही नदियों, नालों और अन्य ढलाने वाले स्थानों पर पुल बनाने की भी मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि बरसात के दिनों में कई गांवों का संपर्क ब्लॉक और जिला मुख्यालय से कट जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि कई गांवों में PMGSY का बोर्ड तो लगा है, इसमें कहीं 6 करोड़ तो कहीं 8 करोड़ की लागत से सड़क बनने की बात कही गई है. इसी तरह का एक बोर्ड बेहनार-मोलसनार से उदेला रोड पर भी लगा है. लगभग 9 किमी डामरीकृत सड़क बनने की लागत 6 करोड़ बताई गई है. दावा किया गया है कि 5 अक्टूबर 2018 से निर्माण काम चल रहा है. लेकिन अब तक इस बोर्ड के अलावा कोई अन्य काम नहीं हुआ है.

You cannot copy content of this page