Indian News : रायगढ़ | छत्तीसगढ़ में हाथियों के दल का उत्पात जारी है, जिससे किसान परेशान हैं। रायगढ़ में 94 हाथियों का एक दल सक्रिय है, जिसने मंगलवार रात धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र में 22 किसानों की फसलों को रौंदकर बर्बाद कर दिया। इससे पहले, कोरबा में 48 हाथियों ने भी किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया था।

धरमजयगढ़ वन मंडल में सक्रिय हाथियों ने खाद्य सामग्री की तलाश में गांवों में प्रवेश किया है। स्थानीय किसानों का कहना है कि हाथियों का यह उत्पात उनके जीवन यापन को प्रभावित कर रहा है। ग्रामीणों ने हाथियों को भगाने की कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिशें सफल नहीं हो पाईं। इस स्थिति से नाराज होकर ग्रामीणों ने NH-130B पर प्रदर्शन किया और वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की।

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प्रदर्शनकारी ग्रामीणों की मांग है कि वन्य जीवों के कारण हुए नुकसान के मुआवजे को बढ़ाया जाए। उनका कहना है कि पिछले कई सालों से हाथियों का दल गांवों में घूम रहा है, जिससे फसलों, पशुओं और मानव जीवन को नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें हाथियों के उत्पात के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

रायगढ़ जिले में 94 हाथियों का यह दल, जिसमें 28 नर, 42 मादा और 24 शावक शामिल हैं, धरमजयगढ़ और रायगढ़ वन मंडल के जंगलों में घूम रहा है। ये हाथी शाम होते ही जंगल से निकलकर गांवों के खेतों में पहुंच जाते हैं। धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथियों की संख्या अधिक है, जबकि रायगढ़ वन मंडल में भी उनका प्रभाव देखा जा रहा है।

कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में पिछले सात वर्षों से हाथियों का एक बड़ा दल सक्रिय है, जिसने लगभग 70 गांवों को प्रभावित किया है। ग्रामीणों ने 18 सितंबर को चोटिया बाजार के पास धरना प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने “हाथी भगाओ” के नारे लगाए। उनका आरोप है कि वन विभाग इस समस्या को हल करने में असफल रहा है, जिससे उनकी जिंदगी पर संकट मंडरा रहा है।

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स्थानीय वन विभाग की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। ग्रामीणों ने वन विभाग से अपील की है कि वे हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए कदम उठाएं और मुआवजा राशि बढ़ाने पर विचार करें। इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय प्रशासन को सक्रियता दिखाने की आवश्यकता है, ताकि किसानों की चिंताओं का समाधान किया जा सके।

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