Indian News : राजधानी के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) परिसर में रविवार को सुबह तीन बजे बाघ टी 421 पिजरे में कैद हो गया। यह देश का पहला मामला है जब बाघ अपने आप पिंजरे में कैद हुआ हो। हर बार हाथियों से घेरकर बाघ को ट्रंक्यूलाइज्ड करके रेस्क्यू करना पड़ता है। इससे पहले भोपाल में बाघ को पकड़ने के लिए 36 से अधिक बार पिंजरा लगाया जा चुका है, लेकिन कभी कोई बाघ कैप्चर नहीं हुआ। नेशनल पार्कों में बाघ को भूखा रखकर पिंजरे में भोजन डालकर उसे पिंजरे में लिया जाता है।
बाघ टी 421 भोपाल की प्रिंसेस कही जाने वाली बाघिन टी-21 की पांचवी बार की संतान है। इसे पकड़े जाने के बाद भी मैनिट में बाघ का खतरा अभी टला नहीं है। यहां एक और बाघ मूवमेंट रहा है। अपने से बलशाली बाघ के मूवमेंट के चक्कर में अवयस्क बाघ टी 123-4 मैनिट से होकर कर गया है। बाघ टी 421 को शाम 5 बजे सतपुड़ा नेशनल पार्क के चूरना में इक्लोजर में छोड़ दिया गया। इसे यहां पर 21 दिन क्वारेंटाइन रखा जाएगा। इसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि इसे सतपुड़ा नेशनल पार्क में रखा जाना है या माधव नेशनल पार्क में शिफ्ट करना है। बाघ टी 421 मैनिट में पहली बार 7 अक्टूबर को आया था। इसके मूवमेंट के चलते 26 सितंबर को वाल्मी में घूम रही बाघिन टी 123-3 और 3 अक्टूबर से मैनिट को अपनी टेरेटरी में शामिल करने वाला बाघ टी 123-4 ने इलाका छोड़ दिया था। बाघ टी 421 ने शिकार करने के बाद शुक्रवार काे लौटने की कोशिश की, लेकिन डिस्टर्बेंस के चलते शनिवार को वह रात 11 बजे खुशीलाल अस्पताल से होते हुए मैनिट में दाखिल हो गया था।
बाघ टी 421 को पिंजरे से निकालने से पहले वन विहार के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता ने पिंजरे पर चढ़कर उसे बेहोश किया। उनके मुताबिक बाघ पूरी तरह से स्वस्थ है। जिसके बाद वाइल्ड कंजर्वेशन ट्रस्ट के डॉक्टर प्रशांत देशमुख, रातापानी सेंचुरी के वन्य प्राणी चिकित्क अमित ओड ने मिलकर सेटेलाइट रेडियो कॉलर पहनाया। उसके बाद ट्रांसलोकेशन वाहन पर शिफ्ट करके उसे होश में लाया गया।
मैनिट में दो बाघों का मूवमेंट रहा है। बलशाली बाघ के चलते बाघ टी123-4 मैनिट परिसर से मूव कर गया, लेकिन खतरा टला नहीं। अभी पिंजरे और कैमरे नहीं हटा रहे हैं। यह बाघ कठोतिया से आया बाघ टी421 था। मैनिट प्रबंधन को इलाके को सुरक्षित करने के दिशा निर्देश दिए हैं।