Indian News : भारत के अन्य हिस्सों में, नियमित ट्रेन हॉकरों को रेलवे द्वारा व्यवसाय के अवसर दिए जा रहे हैं, लेकिन बदरपुर में जो हुआ वह यह था कि रेलवे अधिकारियों ने हॉकरों को रेलवे पर व्यवसाय करने से रोक दिया । हॉकरों ने कहा कि यह अफ़सोस की बात है. जिसके कारण बराक के सभी फेरीवालों ने चार महीने तक अपनी आजीविका खो दी और पूरी तरह से निराश्रित हो गए । कई बच्चों ने भी अपने पढ़ाई लिखाई बंद कर दिया था । हॉकर के घर में बीमार माता-पिता, पत्नी और बच्चों का इलाज भी बंद हो गया ।

कई लोगों ने अपने कार्य स्थल बंद होने के कारण डिप्रेशन में आ गईं और वे आत्महत्या करने की कोशिश की । फेरीवालों की समस्या को लेकर उन्होंने कई बार विभिन्न जन प्रतिनिधियों सहित प्रशासन के उच्च अधिकारियों से संपर्क कर समस्या के समाधान का लिखित अनुरोध किया, लेकिन चार माह तक कोई समाधान नहीं हुआ. परिणामस्वरूप, बराक के सभी वंचित फेरीवालों ने बदरपुर के झुनु रॉय, सामाजिक कार्यकर्ता मुन्नी छेत्री और लोंगाई टीबी पोर्टल चैनल के संपादक शंभू दास चौधरी का हाथ थामा और एक सप्ताह की समय सीमा के साथ भूख हड़ताल पर बैठ गए ।

इस लड़ाई में करीमगंज हिंदू रक्षी दल अपना पूर्ण समर्थन के साथ योगदान दिया, करीमगंज जिले के विशिष्ट पत्रकार सचिन्द्र शर्मा, एस बी एन पोर्टल चैनल के संपादक रियाजुल सादिउल इस लड़ाई में अपने पूर्ण समर्थन के साथ आगे आए । उत्तरी करीमगंज विधायक कमलाक्ष दे पुरकास्थ, बराकवैली मोटार संघ के अध्यक्ष निलॉय पाल, काटिगड़ा कांग्रेस सचिव निर्झर विश्वास, जुमबस्ती के विशिष्ट व्यक्ति रवीन्द्र दास, करीमगंज कांग्रेस पार्टी की युवा ब्रिगेड की टीम में बाप्पन नमशूद्र, हैलाकांडी रेड क्रॉस के सचिव बाप्पा देव, अनिंद्र नाथ, पंचग्राम के सुरजीत दास, बदरपुर के प्रमुख व्यवसायी उत्तम घोष, बदरपुर के पिंटू शुक्लाबैद्य और बराक बदरपुर के कई समाचार कार्यकर्ता सहित बदरपुर मंडल भाजपा के पदाधिकारी बदरपुर नगर निगम बोर्ड के सदस्यों शामिल थे ।




परिणामस्वरूप, सभी के पूर्ण समर्थन और सहयोग से, 23 अगस्त (बुधवार) को भूख हड़ताल के पांचवें दिन, करीमगंज के सांसद कृपानाथ मालाह और करीमगंज जिला अध्यक्ष सुब्रत भट्टाचार्य के पूर्ण आश्वासन के बाद इन फेरीवालों की भूख हड़ताल को वापस ले लिया गया । अब देखना यह है कि करीमगंज के सांसद समेत रेलवे के अधिकारी इन गरीब हॉकरों की आजीविका के लिए क्या कदम उठाते हैं. हॉकर एसोसिएशन की ओर से अंतिम निर्णय लिया गया कि अगर उनका रोजगार दोबारा लागू नहीं किया गया तो वे एक बार फिर बदरपुर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

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