Indian News : बलरामपुर | जिले के विकासखंड से 15 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत संतोषी नगर स्कूल में शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि की बड़ी उदासीनता सामने आई है। नव निहालो को स्कूल तक नसीब नहीं हो रहा है और जिम्मेदार एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते नजर आ रहे हैं । जहां एक ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर तरह-तरह की योजनाएं चला रहे है, वहीं मुख्यमंत्री की मनसा को शिक्षा विभाग के अधिकारी पलीता लगाते नजर आ रहे हैं । मुख्यमंत्री की मनसा है नौनिहालों को बेहतर से भी बेहतर शिक्षा मिले | जिसे लेकर मुख्यमंत्री ने अनेकों प्रकार की योजनाएं संचालित कर रखे है । लेकिन बलरामपुर के संतोषी नगर के प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को एक सुरक्षित स्कूल भवन तक नसीब नहीं हो रहा है ।
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सरकार का मानना है कि स्कूली बच्चों को सर्व सुविधा युक्त शिक्षा मिल सके | जिसकों लेकर छत्तीसगढ़ सरकार पूरी ताकत शिक्षा विभाग में झोंक दी है लेकिन बलरामपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत संतोषी नगर में बच्चों को बैठने के लिए भवन तक नसीब नहीं हो रहा है और बच्चे पंचायत के सचिवालय में अपना भविष्य गढ़ रहे हैं । हैरान कर देने वाली बात यह है कि जब भी पंचायत में किसी प्रकार की ग्राम सभा या बैठक का आयोजन होता है तो नौनिहाल खुले मैदान में बिताते हैं | अगर इस दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना घट जाएं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? वही जब इस मामले में स्कूल में पदस्थ शिक्षक से इस पर चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि दो साल पहले स्कूल भवन को डिस्मेंटल कर दिया गया | जिसके बाद से आज तक हमारे स्कूल को एक भी सुरक्षित भवन नहीं मिल पाया है ।
एक अतिरिक्त कक्ष तो बन रहा था लेकिन पांच साल से ऊपर बीत चुका जो अब तक नहीं बन पाया है शिक्षक ने अपनी परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा की पहली से लेकर पांचवी तक के कुल 23 बच्चे अध्ययनरत है | मैंने संकुल के माध्यम से कई बार इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को भिजवाया है लेकिन आज तक इस पर किसी प्रकार का कोई भी विचार नहीं किया गया कुछ दिन पूर्व हमें सूचना मिली कि स्कूल जतन योजना के तहत भवन स्वीकृत हो चुकी है । हम लोग खुश भी थे कि हमारे स्कूल के बच्चों के लिए नए भवन जल्द बन जाएगा लेकिन अभी तक इस संबंध में हमें किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं मिल पाई है और न ही स्कूल का काम चालू हुआ है । अब बात करें मध्यान्ह भोजन की तो किचन शेड का निर्माण किया गया था लेकिन वह भी डिस्मेंटल हो गया है । जिसके कारण अधूरा पड़े अतिरिक्त कक्ष में ही बच्चों के लिए भोजन तैयार किया जाता है और बच्चों को परोसा जाता है जिस तरह से सरकार बच्चों को लेकर लाख प्रयास कर रही है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी उनके प्रयासों में पतीला लगाते नजर आ रहे हैं। शिक्षा विभाग के आगे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी लाचार बने बैठे ।
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अब बात करें स्कूल के बच्चों की तो उन्होंने ने कहा कि हमें पढ़ाई करने में काफी परेशानियां झेलनी पड़ती है । अच्छे से नहीं बैठ पाते हैं और नहीं पढ़ पाते हैं । जिसकी वजह से हम लोगों की ठीक से पढ़ाई नहीं हो पा रही है पढ़ने में काफी परेशानियां हो रही है | गांव के सरपंच प्रेमनी सिंह से इस मामले को लेकर बात किया गया तो उन्होंने कहा कि हम लोगों ने कई बार इसकी सूचना शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दे चुके है लेकिन इन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नजर इस ओर नही है सरपंच अपनी आर्थिक तंगी बताते हुए कहते है की मैंने अतिरिक्त कक्ष को बनवाया है और इसमें कुल एक लाख पैंतीस हजार रुपए में आहरण भी किया है और ढलाई का पैसा मैं अपने पॉकेट से खुद लगाई हूं जो पैसा अभी तक मुझे नहीं मिल पाया है । मैंने दरवाजा और खिड़की भी लगाने का तैयारी कर रखा है । लेकिन ढलाई में पैसा फसा हुआ था | जिसके कारण अभी इसका कार्य अधूरा पड़ा है । पूरे ममाले को लेकर जब इंडियन न्यूज़ की टीम ने बलरामपुर के जिम्मेदार अधिकारी सच्चिदानंद कांत से बात करने का प्रयास किया गया तो ना ही अधिकारी अपने ऑफिस में मिले और ना ही फोन उठाए हैं । क्योंकि अधिकारी को यह जानकारी थी कि हमें जवाब देना पड़ेगा जिसके कारण अधिकारी फोन उठाना उचित नहीं समझे हैं और ना ही मिलना ऐसे में उन नव निहालो का भविष्य कहा जाएगा सोचना उन जिम्मेदारों को है |
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