Indian News : देहरादून | देहरादून में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा अब एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया है। कई राज्यों में लंबे समय से चल रहे आंदोलन के बीच, उत्तराखंड सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। कैबिनेट से सहमति नहीं मिलने के बाद, सरकार अब विधायकों से इस मुद्दे पर राय मांग रही है।

संविदा कर्मचारियों की स्थिति

देश भर में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग जोर पकड़ रही है। कई राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी इस मुद्दे पर दबाव का सामना करना पड़ रहा है। वर्षों से नियमितीकरण के लिए संघर्ष कर रहे कर्मचारियों की उम्मीदें अब सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया पर टिकी हुई हैं।

सरकार की नई पहल


सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए एक नई पहल की है। प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में मंत्रियों से सहमति नहीं मिलने के बाद विधायकों से भी इस मुद्दे पर राय मांगी है। यदि विधायकों की सहमति मिल जाती है, तो इस प्रस्ताव को पुनः कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।




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पूर्ववर्ती नियमावली और कानून


सरकार ने वर्ष 2011 में एक नियमावली तैयार की थी जिसमें 10 वर्षों की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने का प्रावधान था। इसके बाद 2013 में दूसरी नियमावली लाई गई, लेकिन इसके बावजूद कई संविदा कर्मी नियमित नहीं हो पाए। 2016 में नियमावली को संशोधित कर न्यूनतम सेवा अवधि को 5 वर्ष कर दिया गया, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

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हाईकोर्ट की भूमिका और वर्तमान स्थिति


हाईकोर्ट ने फरवरी में रोक हटाने के बाद, सरकार ने अगस्त में एक नया प्रस्ताव लाया जिसमें 2018 तक 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले कर्मियों को नियमित करने का प्रस्ताव था। हालांकि, कैबिनेट के कुछ सदस्य 2024 तक के कर्मियों के नियमितीकरण के पक्ष में थे, जिससे इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पा रही है।

भविष्य की दिशा और उम्मीदें


संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण की प्रक्रिया में इन बदलावों के साथ, कर्मचारियों को उम्मीद है कि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान होगा। सरकार द्वारा विधायकों की राय लेकर और पुनः कैबिनेट में इस प्रस्ताव को लाने के बाद, यह देखा जाएगा कि इस प्रक्रिया में कितना बदलाव आता है और कर्मचारियों की लंबी प्रतीक्षा समाप्त होती है या नहीं।

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