Indian News : मैनपाट में आलू की खेती करने वाले किसानों का तगड़ा नुकसान हुआ है। हालत ऐसी कि लागत भी नहीं निकल रही है। महंगे बीज के कारण पहले कम रकबे खेती हुई फिर मूसलाधार बारिश के कारण फसल खराब हो गई। इसके बाद आलू की पैदावार आनी शुरू हुई तो रेट इतना गिर गया कि किसान बनारस और इलाहाबाद की मंडी में दो-तीन दिन से आलू लेकर अच्छे दाम मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें एक तरफ कम रेट मिलने की चिंता है तो दूसरी तरफ ट्रक का भाड़ा रोजाना बढ़ता ही जा रहा है।

किसान तीस हजार रुपए किराया देकर ट्रक में आलू लोडकर वाराणसी गए हैं। मैनपाट के आलू की वाराणसी और प्रयागराज तक डिमांड है। वर्तमान में खेतों में आलू निकालने के लिए मजदूर लगे हुए हैं। जहां पहले एक दिन में आठ से दस ट्रक आलू वाराणसी जाता था, वहां तीन से चार ट्रक आलू भी नहीं निकल रहा है। रेट भी पिछले सालों की तुलना में आधा है।

दो साल पहले वाराणसी की मंडी में मैनपाट का आलू 52 रुपए किलो तक बिका था, जबकि उस समय बीस रुपए किलो बीज मिला था। इस बार 45 रुपए किलो में बीज लेकर किसानों ने खेती की थी। खेत की जुताई से लेकर बीज, खाद खेत से आलू निकालने में किसान को प्रति किलो 80 रुपए खर्च हुए, जबकि अब वह 20 से 25 रुपए किलो बिक रहा है। कई किसानों ने उधार लेकर खेती की थी, अब उन्हें चिंता है कि उधार कैसे पटाएंगे। कई किसान तीस-चालीस एकड़ में आलू लगाते हैं। ऐसे किसानों को तीन से चार लाख रुपए तक नुकसान हुआ है।




मैनपाट में खरीफ फसल में सबसे पहले आलू तैयार होता है। वाराणसी, इलाहाबाद, पटना की मंडी में डिमांड थी, लेकिन अब स्थिति ऐसी नहीं है। पुराना स्टॉक पर्याप्त होने के कारण रेट कम है। पुराना आलू 15 रुपए किलो तक थोक में मिल रहा है। इससे नए आलू की डिमांड कम है।

किसानों के सामने कम रेट होने के बावजूद आलू बेचने की मजबूरी इसलिए है क्योंकि तीस हजार रुपए में वे ट्रक किराए पर ले गए हैं, वहीं मैनपाट में कोल स्टोरेज भी नहीं है, जिसमें किसान आलू रख सके। इस कारण आलू की आवक बाजार में बढ़ जाती है।

मैनपाट आलू की खेती के लिए मशहूर है। यहां हर वर्ष एक हजार एकड़ में आलू का उत्पादन किया जाता है जबकि इस बार चार सौ एकड़ में भी खेती नहीं हुई। पांच सौ किसान जहां आलू की खेती करते थे, इस करीब सौ किसानों ने आलू लगाया था।

वाले बड़े गांवों में आलू की खेत में चहल पहल नहीं है हर तरफ मजदूर और ट्रक नजर आते थे। छोटे किसानों ने बीज महंगी होने के कारण इस बार खेती नहीं की। मैनपाट से हर साल आठ करोड़ तक का आलू निकलता था।

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