Indian News : रायपुर | 22 जुलाई 2024 सोमवार से सावन माह प्रारंभ हो गया है। उज्जैन में महाकाल बाबा क पहली सवारी प्रथम सोमवार 22 जुलाई को नगर भ्रमण पर निकली इस वर्ष बाबा महाकाल के श्रृंगार के लिए मखाना का हार एवं मखाना विशेष रूप से छत्तीसगढ़ से मँगाई गईं है। छत्तीसगढ़ में बिहार के मिथिलांचल में होने वाले मखाने की खेती की शुरुवात तीन वर्ष पूर्व आरंग ब्लॉक के लिंगाडीह में क़ृषि वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र चंद्राकर के मार्गदर्शन में प्रारम्भ हुई मखाना प्रसंसकरण इकाई का उदघाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था।

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मखाना का साइज एवं स्वाद बिहार के मखाने की तुलना में बेहतर होने से छत्तीसगढ़ के मखाने की मांग स्थानीय बाजार के अलावा अन्य प्रदेशो में भी बढ़ रही है इसीलिए उज्जैन से भी इसकी मांग आई उज्जैन में महाकाल जी के श्रृंगार के लिए सामग्री उपलब्ध कराने वाले संजय जोशी जी से इस संबंध में चर्चा हुई। बाबा की सवारी 29 जुलाई को दूसरी, 5 अगस्त को तीसरी, 12 अगस्त को चौथी, 19 अगस्त को पांचवी, 26 अगस्त को छठी, 2 सितंबर को अंतिम शाही सवारी निकलेगी।

पहल सवारी में चंद्र मौलेश्वर स्वरूप में बाबा :-
भगवान शिव के सिर पर वक्री एवं अर्ध चंद्रमा विराजमान है। इस रूप में भगवान का चंद्र स्वरूप दर्शाया जाता है। इसीलिए इसे चंद्र मौलेश्वर कहते हैं। इस रूप में उनके सिर पर बड़ा सा चंद्र लगा होता है। सबसे पहले चंद्रमा ने ही शिवजी की आराधना करके धरती पर शिवलिंग की स्थापना की थी। चंद्र एक नाम सोम भी है। सोमनाथ में उन्होंने शिवलिंग स्थापित करके पूजा की थी।

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