Indian News : रायपुर। जोरा और पंडरी क्षेत्र में आयोजित शस्त्र पूजन और पथ संचलन कार्यक्रम में शामिल हुए रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी पुरंदर मिश्रा ने कहा की श्रीराम काल्पनिक पात्र नहीं हैं। रामायण काव्य भी मिथ्या नहीं है। रामायण और महाभारत तो हमारा इतिहास है। पहले इतिहास काव्य में लिखा जाता था। लेकिन जब अंग्रेज आए तो इन ग्रंथों को मिथ्या बता दिया। इसीलिए अंग्रेजियत से हमें बचना चाहिए और संघ की विचारधारा को आत्मसात करने पर बल देना चाहिए।
बताते चलें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस एवं विजयादशमी उत्सव के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने रायपुर में अलग-अलग जगहों पर उत्सव मनाया। शहर के 14 स्थानों पर पथ संचलन किया गया। भारत माता की पूजा, शस्त्र पूजन और भगवा ध्वज का वंदन किया गया। संघ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में अलग-अलग समाज प्रमुखों ने भाग लिया। छत्तीसगढ़ के प्रांत संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना यहां शंकरनगर, कृषक नगर व सह प्रांत कार्यवाह टॉपलाल वर्मा और प्रांत प्रचारक प्रेम शंकर शहर के वीर सावरकर नगर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से राजधानी रायपुर के जोरा, पंडरी, तात्यापारा, टिकरापारा, शंकरनगर, देवेंद्रनगर, गुढ़ियारी व बंजारीनगर क्षेत्र सहित अन्य स्थानों से भव्य व आकर्षक पथ संचलन निकाला गया। इन स्थानों पर अलग-अलग वक्ताओं ने अपना वक्तव्य भी दिया।
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जोरा और पंडरी क्षेत्र में आयोजित दशहरा उत्सव कार्यक्रम में रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी पुरंदर मिश्रा प्रमुखता से शामिल हुए। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, सबसे पहले लोगों को दशहरा पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दी। साथ ही कहा कि, किसी भी बड़ी सफलता को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करना जरूरी है। भगवान श्रीराम ने भी मानव रूप में कई बड़े से बड़े कष्ट सहे। जिसे हम वानरी सेना कहते हैं, वास्तव में वह वनों में रहने वाले वनवासी थे। उन्ही की श्रीरामभक्ति, मेहनत और तपस्या की सार्थकता से श्रीराम ने समुद्र पार कर लंका पर विजय पाई।
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श्री मिश्रा ने आगे कहा कि राम काल्पनिक पात्र नहीं हैं। रामायण काव्य भी मिथ्या नहीं है। रामायण और महाभारत हमारा इतिहास है। पहले इतिहास काव्य में लिखा जाता था। लेकिन जब अंग्रेज आए तो इन ग्रंथों को मिथ्या बता दिया। अंग्रेजों ने भ्रम फैलाया कि इतिहास काव्य में थोड़ी न लिखा जाता है जबकि भारत में हर चीज कविता में लिखने की परंपरा थी। उन्होंने कहा कि संघ के संस्कारों के कारण ही आज स्वयंसेवक देश के उच्चतम पदों पर बैठे हैं। संघ 98 वर्षों में बढ़ी है। 2025 में संघ के 100 साल पूरे होने वाले हैं। पूरे देश में शाखा की संख्या को और बढ़ाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। इस अवसर पर स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में दंड सहित कार्यक्रम में पहुंचे। बौद्धिक के उपरांत स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया।
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