Indian News : जगदलपुर। बस्तर दशहरा की प्रसिध्द रस्म रथ परिक्रमा का मंगलवार को विधिवत समापन हुआ | रथ परिक्रमा की आखिरी रस्म बाहर रैनी के तहत माड़िया कस्बे के ग्रामीणों द्वारा परम्परानुसार आठ पहियों वाले रथ को कुम्हड़कोट ले जाया जाता है |

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जिसके बाद राज परिवार द्वारा कुम्हड़कोट पहुंचकर ग्रामीणों को मनाकर और उनके साथ नवाखानी खीर खाकर रथ वापस लाया जाता है | बस्तर में बड़ा दशहरा विजयादशमी के एक दिन बाद बनाया जाता है | वहीं भारत के अन्य स्थानों में मनाये जाने वाले रावण दहन के विपरीत बस्तर में दशहरे का हर्षोल्लास रथोत्सव के रूप में नजर आता है |

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बस्तर में प्राचीन काल में बस्तर को दण्डकारण्य के नाम से जाना जाता था, जो की रावण की बहन सुर्पनखा की नगरी थी | जिस वजह से बस्तर में रावण दहन की प्रथा प्रचलित नहीं है |

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