INDIAN NEWS करीमगंज : यह पहली बार है कि करीमगंज जिले के सैकड़ों शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ रामकृष्णनगर सर्कल के सरकारी कार्यक्रम में भी देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुल्क चलो आन्दोलन के शहीदों को किया गया नमन। इस दिन, रामकृष्णनगर मैदान में चक्र अधिकारी कार्यालय द्वारा आधिकारिक तौर पर आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में, एनसीसी कैडेटों द्वारा मुल्क चलो आंदोलन के सुसज्जित गए प्रतीक के सामने सलामी देने के बाद, चक्र अधिकारी सतीश प्रसाद गुप्ता ने दीप जलाकर शहीदों को नमन किये। साथ ही केंद्र सरकार के मेरा माटी मेरा देश कार्यक्रम के तहत दुल्लभछड़ा विकास खंड के चरगोला, लालछरा और पाठाखौरी गांव पंचायत में ग्रेनाइट पत्थरों पर लिखा मुल्क चलो आन्दोलन के नाम शहीद स्मारक स्थापित किया गया।साथ ही करीमगंज कॉलेज, रामकृष्णनगर कॉलेज, स्वामी विवेकानन्द कॉलेज चान्दखिरा, नेहरू विद्यापीठ हायर सेकेंडरी स्कूल अकाईदुम पाथरकांडी, चरगोला वैली पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल दुल्लाबछडा, बुधन हायर सेकेंडरी स्कूल निविया, मुक्तिजोद्धा पीतांबर कुर्मी मॉडल स्कूल गंभीरा, मुक्तिजोद्धा शिव प्रसाद रॉय मॉडल स्कूल दामछडा, चेरागी विद्यापीठ हायर सेकेंडरी स्कूल चेरागी, अल इकरा नेशनल एकेडमी आनिपुर, स्वामी विवेकानंद इंग्लिश स्कूल निविया, उपाध्याय कंप्यूटर एजुकेशन सेंटर, फनाइरबन्द आदर्श एमई स्कूल, 190 चेरागी फॉरेस्ट एलपी स्कूल, नं. 754 लालछड़ा एलपी स्कूल, 1159 फानाइबागान एलपी स्कूल, 753 दुल्लभछड़ा एलपी स्कूल, नं 759 केकरागोल एलपी स्कूल और चान्दखिरा चाय बागान सहित जिले में लगभग 100 से ज्यादा सरकारी एलपी स्कूल में प्रदीप प्रज्ज्वलित कर मुलू चलो आन्दोलन के अनगिनत अमर शहीदो को नमन कर शिक्षक शिक्षिकाओं ने उपस्थित छात्र-छात्राओं तथा नागरिकों को संबोधित करते हुए उस एतिहासिक आन्दोलन के बारे में विस्तृत ब्यौरा दिये।
करीमगंज जिला प्रशासन के स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में 1857 की यादों से जुड़े लातु मालेगढ़ और बदरपुर किले के साथ ही 1903 में स्थापित दुल्लभछड़ा के श्रीराम जानकी मंदिर को भी एतिहासिक स्थल की मान्यता दी गई है। इस साल जिले के दो अन्य ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ चरगोला एक्सोडस के उत्पत्ति स्थल दुल्लभछड़ा स्थित श्री राम जानकी मंदिर को भी जिला प्रशासन के आदेश पर रोशनी से सजाया गया था। इस दिन अरुणाचल प्रदेश के नामसेई जिले के सेवानिवृत्त एडीसी नीलमनी दास ने मंदिर परिसर में ध्वजारोहण किया। उस अवसर परराजदीप रॉय ने प्रासंगिक भाषण दिया। हालाँकि मुलुक चलो आंदोलन वर्तमान करीमगंज जिले से शुरू हुआ था, पर उस आन्दोलन के सैकड़ों हजारों स्वतंत्रता शहीद को उनके उचित दर्जे से वंचित कर दिया गया था जिसके चलते स्वतंत्रता आंदोलन इतिहास के पन्नों में वे दब गए थे। वैसे तो हर साल 21 मई को उन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है, लेकिन इस बार 77वें स्वतंत्रता दिवस पर सरकारी तौर पर अलग-अलग जगह एक साथ उन्हें याद किया गया। अगर यही सिलसिला जारी रहा तो जलियांवाला बाग हत्याकांड की तरह देश के कोने-कोने में मुल्क चलो आंदोलन भी नमस्य होगा।