Indian News : केरल में एक ‘गैर-हिंदू’ आर्टिस्‍ट (Non-Hindu artist) के मंदिर परिसर में परफॉर्म करने पर रोक लगाने के फैसले ने तूल पकड़ लिया है। मंदिर प्रबंधन के इस फैसले पर लोगों के एक वर्ग ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने इस फैसले की जमकर आलोचना की है। उनका मानना है कि समाज में इसका अच्‍छा संदेश नहीं जाएगा। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) भी ऐसा ही सोचने वालों में शामिल हैं। उन्‍होंने इस पूरे घटनाक्रम पर तंज कसते हुए सवाल किया है कि क्‍या यही वसुधैव कुटुम्‍बकम (Vasudhaiva Kutumbakam) है।

पूरा मामला भरतनाट्यम करने वाली नृत्यांगना मानसिया वीपी से जुड़ा है। उन्‍हें 10 दिवसीय राष्ट्रीय नृत्य और संगीत समारोह में प्रस्तुति देनी थी। इसका आयोजन प्रसिद्ध कुडलमानिक्यम मंदिर कर रहा है। यह मंदिर केरल के त्रिशूर के पास इरिंजालकुडा में बना है।

हालांकि, सोमवार को मानसिया ने बताया कि मंदिर के अधिकारियों ने उन्‍हें प्रस्‍तुति की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कार्यक्रम नोटिस में उनके नाम के ऐलान के बावजूद यह कदम उठाया गया। मानसिया मुस्लिम परिवार में जन्‍मी हैं। उनका कहना है कि आयोजकों ने फोन पर बताया कि वह परफॉर्म नहीं कर सकती हैं। जब मानसिया ने इसका कारण पूछा तो आयोजकों ने कहा कि मंदिर में गैर-हिंदुओं की अनुमति नहीं है।




इस घटनाक्रम पर कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने प्रतिक्रिया दी। उन्‍होंने कहा कि अन्य धर्म दूसरों को आकर्षित करने के लिए हर कोशिश करते हैं कि लोग जुड़ें। उनके धर्म का सम्‍मान करें। सभी के लिए मस्जिदों, चर्चों, गुरुद्वारों के दरवाजे खुले हैं। लेकिन, कुछ साथी हिंदू हमारे मंदिरों को बाहरी लोगों के लिए बंद करना पसंद करते हैं। उन्‍होंने ट्विटर पर सवाल करते हुए पूछा, ‘वसुधैव कुटुम्बकम कहां है?’

न्‍यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए थरूर ने कहा कि वह कुछ मंदिरों के गर्भगृह में एंट्री संबंधी रोक को समझते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘लेकिन यह मंदिर परिसर में अन्य कलाकारों के साथ प्रस्‍तुति का मामला है। हैरान हूं कि मंदिर इसकी अनुमति नहीं दे रहा है।’

थरूर ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह हमारे समाज के लिए अच्‍छा नहीं है। दूसरों की नजर में यह हमारे धर्म के बारे में धारणा को भी नुकसान पहुंचाता है।’

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कुडलमानिक्यम देवस्वम के अध्यक्ष प्रदीप मेनन ने कहा कि आर्टिस्‍ट को प्रतिबंधित करने का निर्णय मंदिर की परंपरा का हिस्‍सा है। उन्होंने कहा कि चूंकि कार्यक्रम मंदिर परिसर के अंदर हो रहा है। लिहाजा, मंदिर की परंपरा का पालन करते हुए निर्णय लिया गया।

मेनन ने कहा, ‘मौजूदा मंदिर परंपरा के अनुसार, गैर-हिंदुओं की अनुमति नहीं है। यहां तक कि कार्यक्रम के विज्ञापन में भी स्पष्ट रूप से कहा गया कि सिर्फ हिंदुओं को मंदिर में परफॉर्म करने के लिए आवेदन की जरूरत है।’

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