Indian News
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भारत-रूस की मित्रता के प्रतीक भिलाई इस्पात संयंत्र के मैत्री बाग में मंगलवार को किशन (सफेद बाघ) की मौत हो गई। किशन 9 वर्ष का था। किशन की मौत से मैत्री बाग में सन्नाटा पसरा हुआ है। सफेद बाघ किशन का जन्म मैत्री बाग में 2013 में हुआ था। इसके पिता का नाम सुन्दर (नर बाघ) और माता (बाघिन) का नाम कमला था। किशन लंबे समय तक पर्यटकों को अपनी दहाड़ से रोमांचित करता था। बाघ की मौत से सफेद बाघ के बाड़े में मायूसी छा गई है।
मैत्री बाग प्रबंधन के अनुसार किशन लगभग 2 साल से कैंसर से पीड़ित था। किशन का इलाज मैत्री बाग के चिकित्सक और अंजोरा पशु चिकित्सालय के वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ चिकित्सक के मार्गदर्शन में चल रहा था। काफी प्रयासों के बावजूद सफेद बाघ को नहीं बचाया जा सका। वन विभाग के अधिकारी कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट, डीएफओ और एसडीओ दुर्ग और शासकीय चिकित्सक की मौजूदगी में बाघ का पोस्टमार्टम कर मैत्री बाग में अंतिम संस्कार किया गया।
सफेद बाघों की नर्सरी है भिलाई का मैत्री बाघ
दरअसल, पूरे भारत में छत्तीसगढ़ के मैत्री बाग को सफेद बाघों की नर्सरी के रूप जाना जाता है। यहां से अब तक 12 सफेद बाघ दूसरे राज्यों को एनिमल एक्स्चेंज के तहत दिए जा चुके हैं। भिलाई की आबोहवा सफेद बाघ के संरक्षण और संवर्धन के लिए बेहतर है। यहां से संतुलित वातावरण के कारण यहां 15 से अधिक सफेद बाघ शावकों का जन्म हो चुका है। वर्तमान में यहां किशन की मौत के बाद अब 5 व्हाइट टाइगर बचे हैं। मैत्रीबाग में बंगाल टाइगर भी है। मैत्रीबाग का संचालन भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा किया जाता है।