Indian News : भारत के कई हिस्सों में ऐसी कई झील है, जहां आज भी हजारों सैलानी घूमने के लिए जाते रहते हैं। जैसे-पैंगोंग झील, पुष्कर सरोवर, बिंदु सरोवर, डल झील और कैलाश मानसरोवर झील। कुछ ऐसी भी झीले भारत में मौजूद हैं जो वैज्ञानिकों और हजारों सैलानियों के लिए आज भी एक रहस्यमयी झील हैं।

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जैसे-महाराष्ट्र के बुलढाना जिले में स्थित ‘लोनार झील’। इस झील का पानी कभी गुलाबी तो कभी ग्रीन हो जाता है।कुछ इसी तरह उत्तराखंड के हिमालय में स्थित ‘रूपकुंड झील‘ भी एक रहस्यमयी झील है। कई लोगों का कहना है कि यह एक कंकालों की झील है, जहां 10 शताब्दी के कई कंकाल आज भी इस झील में मौजूद है। आज इस लेख में हम आपको इस झील के बारे में करीब से बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों इस झील को कंकालों की झील कहा जाता है |

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रूपकुंड झील

समुद्र तल से लगभग 5,029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रूपकुंड झील त्रिशूली शिखर के बीच में मौजूद है। कहा जाता है कि यह जगह तक़रीबन छह माह बर्फ से ढकी रहती है। हाल के दिनों में इस झील को लेकर कुछ चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि इस झील के आसपास नरकंकाल, अस्थियां, गहने, बर्तन, चप्पल और विभिन्न उपकरण आज भी बिखरे हुए हैं, जिसे देखर कंकाल झील’ और ‘रहस्यमयी झील भी कहा जाने लगा है। कहा जाता है कि इस झील में लगभग 200 से अधिक कंकाल आज भी मौजूद हैं।

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रहस्यमयी झील के है कई राज

इस झील में मिले कंकाल को देखकर कई जानकारों और शोधकर्ताओं के अलग-अलग अनुमान है। किसी का कहना है कि यह एक कब्रगाह है, जो भारतीय हिमालय क्षेत्र में लगभग 400 साल से भी अधिक प्राचीन कब्रगाह है। कहा जाता है कि ये लोग पूर्वी भूमध्यसागर के लोग हो सकते हैं। किसी का कहना है कि यह कंकाल किसी एक समय का नहीं बल्कि दो घटनाओं में मारे गए कुछ लोग हो सकते हैं। किसी का कहना है कि ये 400 साल से भी अधिक पुरानी और बताया जाता है कि ये अवशेष किसी तीर्थ यात्री दल के हैं |

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कहा जाता है कि सबसे पहले इस झील को एक ब्रिटिश यात्री फॉरेस्‍ट गार्ड ने देखा था। तब उनका मानना था कि यह कंकाल द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान हताहत हुए सैनिक हो सकते हैं। वहीं कुछ जानकारों का मानना है तिब्‍बत के युद्ध से कुछ सैनिक लौट रहे थे लेकिन, ख़राब मौसम की चपेट में आ गए थे। एक अन्य कहानी इस झील को लेकर यह है कि एक राजा अपने पत्नी और सैनिकों के साथ जा रहा था लेकिन, बर्फिली आंधी में फंस गया, जिकसी वजह से उनकी मौत हो गई।

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  • अन्य जानकारी झील के बारे में
  • रेडियो कॉर्बन विधि द्वारा परीक्षण के बाद बताया गया कि यह कंकाल लगभग चार से छह सौ साल से भी अधिक पुरानी है।
  • इन कंकालों में ऊन से बने बूट, लकड़ी के बर्तन, घोड़े की हड्डियां और सूखा चमड़ा आदि भी मिले हैं।
  • नंदा देवी घूमने के लिए जो भी जाता है, वो यहां घूमने के लिए ज़रूर जाता है।

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